A REVIEW OF लोकप्रसाशन

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रोहित शर्मा का बल्ला देता है टीम इंडिया को नॉकआउट मैच में जीतने की गारंटी, क्या फाइनल में बरसेंगे हिटमैन? 

मुगल साम्राज्य की आधारशिला रखने वाले जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर ने ‘तुर्की’ भाषा में अपनी आत्मकथा ‘तुजूक-ए-बाबरी’ की रचना की

पूर्वी गंगवंश – पूर्वी गंगवंश भारतीय उपमहाद्वीप का एक हिन्दू राजवंश था। उन्होने कलिंग को राजधानी बनाया। उनके राज्य के अन्तर्गत वर्तमान समय का सम्पूर्ण उड़ीसा तो था ही, इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के भी कुछ भाग थे।इनका शासन ११वीं शताब्दी से १५वीं शताब्दी तक रहा। उनकी राजधानी का नाम 'कलिंगनगर' था जो वर्तमान समय में आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिला का श्रीमुखलिंगम है। पहले यह उड़ीसा के गंजम जिले में था। पूर्वी गंगवंश के शासक कोणार्क के सूर्य मन्दिर के निर्माण के लिये प्रसिद्ध हैं।

स्मृतियों में मनुष्य के जीवन के सम्पूर्ण कार्यों की विवेचना की गयी है, इन्हें धर्मशास्त्र भी कहा जाता है।ये वेदों की अपेक्षा कम जटिल हैं। इनमे कहानीयों व उपदेशों का संकलन है। इनकी रचना सूत्रों के बाद हुई। मनुसमृति व याज्ञवल्क्य स्मृति सबसे प्राचीन स्मृतियाँ हैं। मनुस्मृति पर मेघतिथि, गोविन्दराज व कुल्लूकभट्ट ने टिपण्णी की है। जबकि याज्ञवल्क्य स्मृति पर विश्वरूप, विज्ञानेश्वर तथा अपरार्क ने टिपण्णी की है। ब्रिटिश शासनकाल में बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने मनुस्मृति का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया, अंग्रेजी में इसका नाम “द जेंटू कोड” रखा गया। आरम्भ में स्मृतियाँ केवल मौखिक रूप से अग्रेषित की जाती थीं, स्मृति शब्द का अर्थ “स्मरण करने की शक्ति” होता है।

) जैसे गणराज्यों ने भी सिक्के जारी किये थे। यौधेय शासकों द्वारा जारी ताँबे के हजारों सिक्के मिले हैं, जिनसे यौधेयों की व्यापार में रुचि और सहभागिता परिलक्षित होती है।

पू. पहली शताब्दी में आरंभ हो चुकी थी। इन जातकों का महत्त्व केवल इसीलिए नहीं है कि उनका साहित्य और कला श्रेष्ठ है, प्रत्युत् तीसरी शताब्दी ई.पू. की सभ्यता के इतिहास की दृष्टि से भी उनका वैसा ही ऊँचा मान है।

सातारा जिल्ह्यातील वाई तालुक्याजवळ मांढरदेवीचं मंदिर एका डोंगरावर वसलेलं आहे.

अशा प्रकारच्या धार्मिक कार्यक्रम, मेळावे, सत्संगामध्ये चेंगराचेंगरी होऊन लोक मृत्यूमुखी पडण्याच्या दुर्दैवी घटना यापूर्वीही झालेल्या आहेत.

यद्यपि यह अकबरनामा का तृतीय भाग है, तथापि इसे पृथक् ग्रंथ माना जाता है। इसमें अकबर के शासनकाल से सम्बन्धित आंकड़े तथा शासन-व्यवस्था सम्बन्धी अन्य नियमों का विस्तृत वर्णन है। अबुल फजल के इस ग्रंथ का ब्लोचमेन तथा गैरेट ने अंग्रेजी अनुवाद किया है। इससे तत्कालीन समय की राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा आर्थिक स्थिति के बारे में विश्वसनीय जानकारी मिलती है।

विजय अभियान

पुरातात्विक स्रोत के अंतर्गत अभिलेख, सिक्के, मूर्तियां, चित्रकला, मृदभांड एवं मोहरें आती हैं।

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त॒म् इतिहास॒श् च पुराणं॒ च गा॒थाश् च नाराशंसी॒श् चानुव्य॑चलन् ।

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